रविवार, 12 जून 2011

बाबा रामदेवजी को अपना अनसन समाप्त कर देना चाहिए |

आदरणीय आचार्य जी ,
आप अपने शरीर रूपी वीणा (वाद्य यंत्र )के तारो को इतना मत कसो क़ि तार ही टूट जाय,और इन तारो को इतना ढीला भी मत करो क़ि कोई स्वर ही न निकले यानि हठयोग को त्याग कर सहजयोग में आ जाओ |वीणा को झाद्पोंछ कर फिट करो ,फिर निरंतर अभ्यास से जैसा चाहो वैसा स्वर निकालो ,शंख नाद करो या मुरली क़ी मधुर धुन सुनाओ ,जिसे सुन कर सभी खिचे चले आयें गें ,फिर देखना वाद्य यंत्र से निकलने वाली असीम उर्जा का कमाल,सबकुछ स्वतः बदल जायेगा |