सोमवार, 19 मार्च 2012

अंधेरों में दिया दिल का रहे रोशन

गुरु चरणों में दिल की प्रीति लग जाये तो अच्छा है
भली राहों में अपना हर कदम निकले तो अच्छा है
कुटिल चालों में निज के स्वार्थ का सपना सजाते हैं
कहाँ कैकेयी बुद्धि से कभी सुख भोग पाते हैं
दुराग्रह के सभी दुर्भाव हट जाएँ तो अच्छा है
भली राहों में अपना हर कदम निकले तो अच्छा है
मनुज के जीवन में मुश्किल के लाखों काले साये हैं
परेशां बेबश इंसान पर दुखों के बादल छाये हैं
किसी के गम को कम करने पे मन मचले तो अच्छा है
भली राहों में अपना हर कदम निकले तो अच्छा है
गुनाहों का कहर आहों की बस्ती में ठहर जाये
बिकट दुश्वारियों की जद जगत के जीव सब आये
अंधेरों में दिया दिल का रहे रोशन तो अच्छा है
भली राहों में अपना हर कदम निकले तो अच्छा है
व्यसन मद लोभ ममता हैं सभी बिष के भरे प्याले
अविद्या जनित विकारों से हुए हैं कितने मन काले
मनुज के डगमगाते पग संभल जाएँ तो अच्छा है
भली राहों में अपना हर कदम निकले तो अच्छा है

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